धर्म की तरह विज्ञान में भी अंधविश्वास व्याप्त हैं। लेकिन असली विज्ञान वह है, जो अंधविश्वासों से सावधान रहना सिखाता है। स्वामी विवेकानंद का चिंतन..
व्यावहारिकता की दृष्टि से आधुनिक भाषा में ही हमें चर्चा करनी चाहिए, लेकिन मुझे सचेत कर देना चाहिए कि जिस तरह धर्म के संबंध में अंधविश्वास है, उसी तरह वैज्ञानिक विषयों में भी है। धार्मिक कार्य को अपना वैशिष्ट्य मानने वाले पुरोहितों के सदृश भौतिक विज्ञान के भी पुरोहित होते हैं, जो वैज्ञानिक कहलाते हैं। ज्यों ही डार्विन या हक्सले जैसे वैज्ञानिकों का नाम लिया जाता है, त्यों ही हम आंख बंद कर उनका अनुसरण करने लगते हैं। यह तो आजकल फैशन सा हो गया है। जिसे हम वैज्ञानिक ज्ञान कहते हैं, उसका नब्बे प्रतिशत केवल बौद्धिक उपपत्ति ही होता है। और इसमें से बहुत सा तो अनेक हाथ और सिर वाले भूतों में अंधविश्वास के सदृश ही होता है। सच्चा विज्ञान हमें सावधान रहना सिखाता है। जिस तरह हमें पुरोहितों से सावधान रहना चाहिए, उसी तरह वैज्ञानिकों से भी। पहले अविश्वास से आरंभ करो। छान-बीन करो, परीक्षा करो और प्रत्येक वस्तु का प्रमाण मांगने के बाद उसे स्वीकार करो। आजकल के विज्ञान के बहुत से प्रचलित सिद्धांत, जिनमें हम विश्वास करते हैं, प्रमाणित नहीं हुए हैं। गणित जैसे शास्त्र में भी बहुत से सिद्धांत ऐसे हैं, जो केवल मान ली हुई उपपत्ति के सदृश ही हैं। जब ज्ञान की वृद्धि होगी, तो ये फेंक दिए जाएंगे।